1. Shrikrishna Janmashtami (Aarti Kunj Bihari ki Hindi Lyrics )


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै।
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग
अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद
टेर सुन दीन दुखारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

2. Hindi Lyrics of Aarti Shri krishnahare for janmashtami


आरती श्री कृष्णजी की
 ॐ जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे।
भक्तन के दुख सारे पल में दूर करे॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 परमानन्द मुरारी, मोहन गिरधारी।
जय रस रास बिहारी जय जय गिरधारी॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 कर कंचन कोटि सोहत कानन में बाला।
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे बनमाला॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 दीन सुदामा तारे दरिद्रों के दुख टारे।
गज के फंद छुड़ाए भव सागर तारे॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 हिरण्यकश्यप संहारे नरहरि रूप धरे।
पाहन से प्रभु प्रगटे जम के बीच परे॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 पापी कंस विदारे नल कूबर तारे।
दामोदर छवि सुंदर भगतन के प्यारे॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 काली नाग नथैया नटवर छवि सोहे।
फन-फन नाचा करते नागन मन मोहे॥
ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
 राज्य उग्रसेन पाये माता शोक हरे।
द्रुपद सुता पत राखी करुणा लाज भरे॥
। ॐ जय श्री कृष्ण हरे..
3. Hindi Lyrics- Aarti Balkrishna Ji ki (Janmashtami)
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
अपना जनम सफल करि लीजे ।।
श्री यशोदा का परम दुलारा ।
बाबा की अखियन का तारा ।।
गोपिन के प्राणन का प्यारा ।
इन पर प्राण निछावर कीजे ।।
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
बलदाऊ का छोटा भैया।
कान्हा कहि कहि बोलत मैया ।।
परम मुदित मन लेत वलैया ।
यह छबि नैनन में भरि लीजे ।।
आरती बालकृष्ण की कीजे ।
श्री राधावर सुघर कन्हैया।
ब्रज जन का नवनीत खवैया।।
देखत ही मन नयन चुरैया ।
अपना सरबस इनको दीजे।।
आरती बालकृष्ण की कीजे।
तोतरि बोलनि मधुर सुहावे ।
सखन मधुर खेलत सुख पावे ।।
सोई सुकृति जो इनको ध्यावे।
अब इनको अपनो करि लीजे।।
आरती बालकृष्ण की कीजे ।


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